अगर सैफ-करीना को ये बात पता होती तो शायद बेटे का नाम तैमूर न रखते !

अगर सैफ-करीना को ये बात पता होती तो शायद बेटे का नाम तैमूर न रखते !



करीना और सैफ को बेटा हुआ है. बेटे का नाम तैमूर अली खान पटौदी रखा गया है. जनता नाम सुनकर हैरान है. क्योंकि तैमूर एक आक्रांता था. इस नाम को प्यार से नहीं लिया जाता हिंदुस्तान में. ऐसे वक्त में जब औरंगजेब के नाम की सड़क को बदल दिया वैसे में एक सेलिब्रिटी कपल का अपने बच्चे का नाम तैमूर रखना गुदगुदी पैदा करता है.

जब तैमूर यंग था तब एक भेड़ चुराने गया था. गड़ेरिये ने इसे तीर मार दिया. दाहिने हाथ और दाहिने पैर में. हाथ की दो उंगलियां चली गईं. पैर से लंगड़ा हो गया. नाम हो गया तैमूरलंग.

तैमूर के सबसे छोटे बेटे का नाम शाहरुख था.

कहते हैं कि तैमूर ने ही हिंदुस्तान में ताजिया शुरू करवाया था.  

चंगेज खान के नक्शे कदम पर चल कर कैसे पहुंचा हिंदुस्तान?

तैमूर का मतलब होता है आयरन यानी लोहा. ये तुर्की भाषा का शब्द है. पर सुनते ही दिमाग में तैमूरलंग का नाम आता है. तैमूर लंगड़ा. जो तुर्की से चलकर हिंदुस्तान आया था. लूट-मार करने. 1336 में तैमूर जन्मा था बारअक्स में. उज्बेकिस्तान. तुर्की एरिया था ये. बाप ने इस्लाम कबूल किया था. तैमूर के पास सोचने का वक्त नहीं था. इस्लाम के नाम पर आगे बढ़ने की तमन्ना थी. क्योंकि कुछ और करने की गुंजाइश नहीं थी. उस वक्त सिकंदर औऱ चंगेज खान की कहानियां ही चलती थीं. समस्त संसार को अपने पैरों के नीचे रखना ख्वाहिश होती थी. नाम सुनते ही लोगों की भाग-दौड़ देखने का आनंद होता था. तब कवि यही लिखा करते थे कि जिधर को बादशाह निकला, तारे झुक गये, चांद छुप गया, हवा बहने लगी. ऐसा होता कुछ नहीं था, माहौल बना दिया जाता था. तलवार गर्दन पर रहे, तो उटपटांग ही लिख पाएगा इंसान.

1369 में तैमूर समरकंद का बादशाह बन गया. वही समरकंद जहां से बाबर आया था. खुद को तैमूर का वंशज बताता था. तो चंगेज खान की तर्ज पर तैमूर ने भी लड़ाई से ज्यादा विनाश शुरू किया. मारता कम घसीटता ज्यादा वाला जुमला शायद इन्हीं लोगों से आया था. इनकी पॉलिसी को बाद में स्कॉर्च्ड अर्थ पॉलिसी कहा गया. मतलब इतना विनाश कर दो कि शत्रु फिर उठने ना पाये. 1393 तक पूरे मेसोपोटामिया यानी इराक तक तैमूर का अधिकार हो गया.


उस वक्त भारत का नाम दुनिया में सम्मान से लिया जाता था. धनी देश हुआ करता था भारत. तैमूर के मन में आया कि चल के देखते हैं. कहानी तो बहुत पढ़े हैं. हार भी जायेंगे तो क्या हुआ. देख तो लेंगे ही. पर पता चला कि जीतने की संभावना ज्यादा है. क्योंकि उस वक्त तुगलक वंश चल रहा था यहां. अक्षम शासक थे. 1398 में तैमूर ने काम शुरू किया. मुल्तान को जीता. औऱ फिर भारत पर फुल फ्लेज्ड हमला कर दिया. 13 अक्टूबर 1398 को तैमूर सिंधु, रावी और झेलम को पार कर भारत में दाखिल हुआ. तुलुंबा नगर पर हमला कर लूट-पाट मचा दी.

पहुंचकर दिल्ली में 5 दिन लोगों को काटता रहा

उसके बाद भटनेर और पानीपत होते हुए दिल्ली पहुंचा. पानीपत नाम ही इसलिए पड़ा था कि पानी से पटा हुआ था एरिया. खाना-पीना भरपूर था यहां. लड़ाई होती थी तो मजा आता था. क्योंकि रसद कम नहीं पड़ती थी. सुल्तान महमूद गुजरात भाग गया. दूसरे दिन तैमूर दिल्ली में दाखिल हुआ. 5 दिन तक शहर में कत्ल-ए-आम हुआ. लोगों को काट दिया गया. सड़कों पर. दिल्ली में खून बह रहा था. इसके बाद तैमूर 15 दिन तक यहां की संपत्ति लादता रहा. कारीगरों को बंदी बनाकर ले जाता रहा. इन्हीं कारीगरों से उसने अपने यहां जामा मस्जिद बनवाई थी.

उसे राज तो करना नहीं था. वो मेरठ गया. लूटा. हरिद्वार तक पहुंचा. लूटा. जम्मू तक पहुंचा. लूटा. थक गया. मार्च 1399 में वापस लौट गया. वापस लौट कर उसने महान ऑटोमन साम्राज्य के शासक को हराया. उसके बाद चीन पर भी हमला करने का प्लान था इसका. पर 1405 में इसकी मौत हो गई. पूरी जिंदगी वो चंगेज खान की लीगेसी बरकरार रखने की बात कर रहा था. तो इसी वजह से उसके बारे में कहानियां बहुत चलती हैं. कहते हैं कि तैमूर लोगों को मार के नरमुंड के ढेर लगाकर हंसता था. लड़ाई के बाद उसका फेवरिट पास्टाइम था ये. दिल्ली में तो नरमुंड का स्तूप बनवा दिया था.

एक अच्छी कहानी भी है तैमूर के बारे में

ये भी कहते हैं कि भारत में एक छोटे से बच्चे बलकरन ने तैमूर से पंगा ले लिया था. कहानी है कि तैमूर लूट-मार करते हुए एक गांव में पहुंचा. सब लोग गांव छोड़कर भाग गये. तैमूर घूमते-घूमते एक घर में घुस गया. वहां एक बच्चा चाकू तेज कर रहा था. तैमूर ने पूछा कि तू भाग क्यों नहीं रहा. तो बच्चे ने कहा कि मेरे को तैमूर से लड़ना है. तैमूर हंस पड़ा. फिर कहानी वही हो गई कि बच्चे से इंप्रेस होकर तैमूर ने उसका गांव बख्श दिया.


तैमूर की कहानी सिर्फ लूट-मार के लिये ही फेमस नहीं है. तैमूर को उसकी मिलिट्री स्ट्रैटजी के लिए जाना जाता है. एक कुशल सेनापति जिसने अपने सैनिकों को हर तरह की लड़ाई के लिए तैयार किया. यहां तक कि चीन पर भी हमले के लिए तैयार कर लिया था. इसके साथ ही कई सारे कल्चर्स को जोड़ने का भी श्रेय प्राप्त है तैमूर को.
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